कैसे गांवों में जैविक खेती पकड़ रही है रफ्तार

 

कैसे गांवों में जैविक खेती पकड़ रही है रफ्तार


भारत में सदियों से खेती प्राकृतिक और पारंपरिक तरीकों से होती आई है। लेकिन हरित क्रांति के बाद रासायनिक खादों और कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग ने मिट्टी की गुणवत्ता, पानी और मानव स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाला। अब समय आ गया है वापस उस दिशा में लौटने का — और जैविक खेती (Organic Farming) इस बदलाव की अगुवाई कर रही है, खासकर भारत के गांवों में।

आज भारत के ग्रामीण इलाकों में जैविक खेती एक नई क्रांति के रूप में उभर रही है। आइए समझते हैं कैसे यह बदलाव हो रहा है और इसके पीछे की प्रेरक कहानियाँ।


🌱 जैविक खेती क्या है?

जैविक खेती वह पद्धति है जिसमें रासायनिक खादों और कीटनाशकों की जगह प्राकृतिक संसाधनों जैसे गोबर, हरी खाद, नीम तेल, वर्मी कंपोस्ट, आदि का उपयोग किया जाता है। इसका उद्देश्य मिट्टी की उर्वरता बनाए रखना, पर्यावरण की रक्षा करना और सुरक्षित खाद्य उत्पादन करना है।


🚜 गांवों में जैविक खेती क्यों बढ़ रही है?

1. स्वास्थ्य के प्रति बढ़ती जागरूकता:

अब गांवों में भी लोग समझ रहे हैं कि रासायनिक छिड़काव वाले अनाज और सब्जियां स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं। इसलिए कई किसान अब खुद उपजाए शुद्ध जैविक अनाज और सब्जियों को प्राथमिकता दे रहे हैं।

2. कम लागत, बेहतर मुनाफा:

गोबर, खाद और कीटनाशक गांव में ही उपलब्ध होते हैं, जिससे लागत काफी घट जाती है। जैविक उत्पादों को शहरों में ऊंचे दाम पर बेचा जा सकता है, जिससे किसान को अधिक मुनाफा मिलता है।

3. सरकारी योजनाएं और ट्रेनिंग:

भारत सरकार द्वारा जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए परमपराagat Krishi Vikas Yojana (PKVY), राष्ट्रीय जैविक खेती मिशन (NPOF) जैसी योजनाएं चल रही हैं। साथ ही NGOs और कृषि विज्ञान केंद्र किसानों को ट्रेनिंग भी दे रहे हैं।


🧑‍🌾 जमीनी स्तर पर बदलाव: किसानों की कहानियाँ

📍 बिहार का उदाहरण:

सहरसा जिले के एक छोटे किसान रामनाथ यादव ने 2019 में सिर्फ 1 एकड़ में जैविक सब्जी की खेती शुरू की। शुरू में उन्हें शंका थी, लेकिन आज वह न केवल अपने परिवार के लिए शुद्ध भोजन उगा रहे हैं, बल्कि स्थानीय मंडी में अच्छे दामों पर बेच भी रहे हैं।

📍 उत्तराखंड: जैविक ग्राम मॉडल

उत्तराखंड के कई गांव अब "जैविक ग्राम" घोषित किए जा चुके हैं, जहां पूरा गांव रसायनमुक्त खेती करता है। इससे पर्यावरण भी सुरक्षित है और युवाओं को भी गांव में रोजगार मिल रहा है।


🌾 प्रमुख जैविक उत्पाद जिनकी मांग बढ़ रही है

  • जैविक गेहूं और चावल

  • हल्दी और अदरक

  • जैविक सब्जियां (भिंडी, टमाटर, बैंगन)

  • फल (आम, अमरूद, नींबू)

  • देसी गाय का दूध और गोबर खाद

शहरों में रहने वाले लोग अब ऑर्गेनिक शॉपिंग को प्राथमिकता दे रहे हैं, जिससे गांव के किसानों को नए बाजार मिल रहे हैं।


🔄 चुनौतियां क्या हैं?

  • शुरुआत में पैदावार थोड़ी कम हो सकती है।

  • जैविक प्रमाणपत्र प्राप्त करना मुश्किल और महंगा होता है।

  • बाजार तक पहुंच और सही कीमत मिलना हर किसान के लिए संभव नहीं है।

इन चुनौतियों को दूर करने के लिए सरकार, NGOs और स्थानीय मंडियों को मिलकर काम करना होगा।


📈 भविष्य की राह

जैविक खेती केवल एक कृषि तकनीक नहीं, बल्कि एक समग्र जीवनशैली और आंदोलन बन चुका है। यह न केवल पर्यावरण को बचाता है, बल्कि गांवों में आत्मनिर्भरता और सम्मान की भावना को भी मजबूत करता है।

अगर सही दिशा में सहयोग मिले, तो आने वाले वर्षों में भारत के हजारों गांव जैविक खेती के उदाहरण बन सकते हैं — और इससे न केवल देश को, बल्कि पूरे विश्व को फायदा होगा।

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