ऑनलाइन गेमिंग पर मोदी सरकार का बड़ा वार – अब नहीं चलेगा रियल मनी गेमिंग का धंधा!

 ऑनलाइन गेमिंग पर मोदी सरकार का बड़ा वार – अब नहीं चलेगा रियल मनी गेमिंग का धंधा!



भारत में ऑनलाइन गेमिंग की दुनिया पिछले कुछ सालों में तेजी से बदली है, और अब 20 अगस्त 2025 को लोकसभा में पास हुए “प्रमोशन एंड रेगुलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग बिल” ने इस इंडस्ट्री को एक नए मोड़ पर ला खड़ा किया है। यह बिल रियल मनी गेमिंग, यानी उन खेलों को पूरी तरह बैन करता है जिनमें असली पैसे दांव पर लगते हैं या जीतने पर पैसों का वादा किया जाता है।

 सरकार का मानना है कि गेमिंग मनोरंजन का एक शानदार जरिया है, लेकिन जब इसमें जुए की लालच घुस आती है, तो यह सामाजिक और आर्थिक नुकसान का कारण बनती है। पिछले कुछ सालों में कई मामले सामने आए हैं, जहां युवा पढ़ाई छोड़कर गेमिंग में डूब गए, परिवारों ने अपने बच्चों के हजारों-लाखों रुपये गंवाने की शिकायतें कीं, और कुछ लोग तो कर्ज में भी डूब गए। 

इस बिल का मकसद गेमिंग और जुए के बीच एक साफ रेखा खींचना है। अब न तो रियल मनी गेमिंग ऐप्स चल सकेंगे, न उनके विज्ञापन दिखेंगे, और न ही बैंकों या पेमेंट गेटवे के जरिए इनमें कोई लेन-देन हो सकेगा। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि गेमिंग खत्म हो जाएगी। सरकार ई-स्पोर्ट्स और स्किल-बेस्ड गेम्स को बढ़ावा देना चाहती है।

 ई-स्पोर्ट्स को अब एक प्रोफेशनल स्पोर्ट की तरह मान्यता मिलेगी, इसके लिए ट्रेनिंग अकादमियां और रिसर्च सेंटर बनाए जाएंगे। साथ ही, पढ़ाई और स्किल डेवलपमेंट से जुड़े सोशल और एजुकेशनल गेम्स को भी सपोर्ट मिलेगा, ताकि बच्चे और युवा सुरक्षित माहौल में गेमिंग का आनंद ले सकें। 

एक नई ऑनलाइन गेमिंग अथॉरिटी बनाई जाएगी, जो यह तय करेगी कि कौन सा गेम स्किल-बेस्ड है और कौन सा जुए की श्रेणी में आता है। इस फैसले का असर गेमिंग इंडस्ट्री पर गहरा होगा। Dream11, MPL, और RummyCircle जैसी कंपनियों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है, क्योंकि उनका बिजनेस मॉडल ही रियल मनी गेमिंग पर टिका है। निवेश और नौकरियों पर भी संकट मंडरा रहा है। लेकिन दूसरी ओर, ई-स्पोर्ट्स कम्युनिटी इसे एक सुनहरा मौका मान रही है, क्योंकि अब PUBG और BGMI जैसे गेम्स को प्रोफेशनल लेवल पर और ज्यादा सपोर्ट मिलेगा। 

                                                               my gov official site source 

                                                   

सरकार का साफ संदेश है कि गेमिंग को बढ़ावा देना है, लेकिन जिम्मेदारी और सुरक्षा के साथ। फिर भी, इस बिल की आलोचना भी हो रही है। कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि पूरी तरह बैन लगाने की बजाय रेगुलेशन और टैक्सेशन का रास्ता बेहतर होता। इससे न सिर्फ इंडस्ट्री को नुकसान होता, बल्कि खिलाड़ी अनरेगुलेटेड विदेशी प्लेटफॉर्म्स की ओर जा सकते हैं, जो और बड़ा जोखिम पैदा कर सकता है। कुल मिलाकर, यह बिल भारत में गेमिंग के भविष्य को नई दिशा देगा, लेकिन इसके दीर्घकालिक प्रभावों पर नजर रखना जरूरी होगा।

                                                          


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